August 31, 2009
एक आखरी आशा ..!!
एक ख्वाब था , दिल में तन्हा... पल-पल सवार था, सजाया था , संभाला था दुनिया की हवायों से ,, पर बस पता नही , क्यूँ उसे अच्छा नही लगा.... की वो साथ दे मेरा...... अब तो ख़ुद मुझे भी खुस से ओई उम्मीद नही रही, न है दिल में कोई आरजू...और न हीं कोई अपराधबोध का एहसास ;;;; कल की सोचता हीं नही,, शायद मेरे जगह पर कोई और होता तो वक्त के साथ सब भूल जाता,,पर मेरा याद करना वक्त के साथ और भी बढ़ता जाता है कोई भी वक्त का मरहम या खुशी की चकाचौंध इसे धूमिल नही कर सकता !! बस एक हीं बात दिल में आता है अक्सर .......... की कोई बस मुझे उससे एक बार मिला दे ;; एक बार छूने दे उसे;;एक बार फिर उन आँखों का दीदार करने दे...... जिसमे कवेल मैं था -केवल मैं.... जब भी इस भगवान् नाम के सक्श की याद आती है पता नही बार-बार एक हीं सवाल मेरे होठों पे तैर जातीं है
"मुझसे उसे छिनकर तुम्हे क्या मिला" अबऐसा कोई खुशी नही जो राहुल को हँसा दे...कोई ऐसा नही जो राहुल को बहला दे.... बस एक तेरी यादें हैं -और एक आशा की अब भी मेरे पास करने के किए आखरी उपाय है जो मुझे उससे मिला सकता है ।
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