August 10, 2009

मेरी जिंदगी की किताब

कवि .......!! एक वो नाम जो पहचान करना चाहता है ख्वाव का, हकीकत का , प्यार का और जज्वात काएक वो नाम जो इंसान भले हीं भुला दे पर वो ख़ुद में पूर्ण है .किसी की चाह नही करता कविता, भले हीं कवि कुछ चाहे प् उसकी कृति किसी का मोहताज़ नहीउसके रहने पर भी वो रहेगी इन्ही फिजायों में ,गुनगुनायेगी इन्ही हवाओं में और जब कोई बहकेगा जब कोई तड़पेगा , वो ख़ुद गजलें और नगमें बन कर उस रुसबाई को अपना सौदाई बना लेगा...........!!!
............................पर मैं क्यूँ लिख रहा हूँ ये सब ? क्या बड़ी -बड़ी बातें करके मैं ख़ुद को बड़ा और दार्शनिक बनाना चाहता हूँ..?क्या मैं अपनी कविता का गुणगान करना चाहता हूँ ...?.........बिल्कुल नही..........मैं कवि नही हूँ, हीं मैं कविता बना सकता हूँ, मेरी नजरें मुकाबला नही करती सूरज की तेज किरनों कामेरी कोई औकात नही उससे लड़ने का, बल्कि मेरी गजलें पहचान है मेरी......! ये मैं हूँ एक नन्हा ख्वावकभी जो मरता, घसीटता समेटता जाता , पर हार मानता ! हर हार के बाद सर झुकाकर मैदान से बाहर ,फिर उसी गुरव से मुकावला करना --ये मैं हूँ -मेरी नगमे हैं जो किसी से मुकाबला नही करतीये पूर्ण है ख़ुद में, और अगर ये ख़ुद अपना परिचय नही कराएगी तो मेरे शब्दों से इसका क्या होगा --मैं मौन हूँपर नगमे मेरी साक्षी है उस पाक प्यार की , उस बेइंतहा मोहब्बत की ,जो केवल देने का नाम है, केवल चाहने का नाम है, केवल अनुभव करने का नाम हैऔर जब कभी मैं आंखें बंद करी उस पहेली का अनुभव करता हूँ तो वो मेरे हमेशा साथ dikhti है , जिसे मैं कभी सुलझा नही पाया .....कभी नही............!!!

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