August 10, 2009

आवाज़ लगा दो


वर्षों बीत गयें नगमो की ,
वर्षों
बीत गए साये Align Centerवर्षों बीत गये प्यारे ,
ग़ज़लों
की बारातें आये !!
मौन
पड़े शब्द सारे मेरे,
मौन
पड़े सब अपने ,
देख
रहा तन्हा गलियों में तेरे हीं सदके सपने !!
दबी
पड़ी आवाज़ जो दिल में ,
कल
को फूट पड़ेंगे, मिट जायूँगा कल तो क्या गम,
साथ
रहेंगी नगमे ............!!
आज
सही मैं मौन पड़ा ,
नियति
की इस जग में ,
गिर
गिर कर मैं बहुत संभला हुईं,
नीरस
जीवन पग तल में !!
खिल
जाए ये तन्हा दिल ,
तुम
जो आवाज लगा दो ,
तर
जाएँगी नगमे मेरी ,
अपने
होठों से जो तुम गा दो!!
अब
नही साँसे भी साथी,
रंगत
नही कलियों में ,
मर रहा लम्हा घुट घुट कर ,
देख
तन्हा गलियों में !!
शायद
अब भी तू जाए,
कर मेरी नगमे गा जाए ,
बेजान पड़ी मेरी नगमो को,
अपनी
साँसों की खुशबू दे जाए !!
जीवन
की अन्तिम रातों में ,
एक
बार फिर तुम से कहता हुं,
नगमो को मेरी सहला दो ,
इन
नगमो में मैं बसता हूँ !!

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