August 31, 2009

अजीब है तेरा शहर.....!!!.


हँसी अपनी भूल गया अजीब है तेरा शहर ,
हर
तरफ धुंध है अजीब है तेरा शहर ,
कभी
ख्वाबो की समंदर थी जिन्दाजी मेरी ,
अब
ख्वाबे सताती है मुझे ,
   अजीब
है तेरा शहर .......!!
 जिंदगी का पता पूछने आया था बिथौम्स तेरी वादों पे 
अपना
हीं आसियान भूल गया ,
अजीब
है तेरा शहर ..........
दो
एक चेहरे थे पहचाने जिंदगी की राहों में
अब
धुंध ही धुध है पसरी चारो तरफ़
अजीब
है तेरा शहर ................
तुमने
तो बड़ी कसीदें सुने थी- क्या हुआ...
शायद
सपने मरे जाते है यहाँ
अजीब
है तेरा शहर
तमन्ना
थी दो एक दिन जीने की
जाने
क्यूँ तबियत बदल सी गई
अजीब
है तेरा शहर..............!!!

No comments: