August 12, 2009

बंधन


कामवासना से भागने की कोई जरुरत नही,है । धयान पूर्वक उस में उतरो।परमात्मा ने हमे जो कुछ भी दिया है--अर्थपूर्ण हीं दिया है ।मगर सदियों से उसे दबाया जा रहा है । और उसी का परिणाम है की आज हम काम के बारे में खुल कर बात नही करतें । वह हमारे भीतर भर गया है की बाहर तो वेदांत , गीता , रामायण और शास्त्रों की बात होती है पर अन्दर...........!!! खुल जाओ ....स्वंतत्र हो जाओ, ख़ुद से सारे बंधन से - जो तुम्हे बांधते है ..!!!!

चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: bandhan,

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