August 12, 2009


बे जुवान मैं हूँ परिंदा,

सुन ले खुदा मेरी,

कैद होकर छीन गई है

हर अदा मेरी .............!!

क्यूँ तू लाया है यहाँ ,

है कहाँ मेरा वतन

अब न सुन पायेगी हाय माँ सदा मेरी

देखा पिंजरे में तो आँख भर आई ,

कितनी सबसे है ये किस्मत ये जुदा मेरी ,

छीन कर मेरी उड़ान अपाहिज कर डाला ,

'राहुल' इतनी तो बड़ी नही थी सजा मेरी ॥

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