बे जुवान मैं हूँ परिंदा,
सुन ले खुदा मेरी,
कैद होकर छीन गई है
हर अदा मेरी .............!!
क्यूँ तू लाया है यहाँ ,
है कहाँ मेरा वतन
अब न सुन पायेगी हाय माँ सदा मेरी
देखा पिंजरे में तो आँख भर आई ,
कितनी सबसे है ये किस्मत ये जुदा मेरी ,
छीन कर मेरी उड़ान अपाहिज कर डाला ,
'राहुल' इतनी तो बड़ी नही थी सजा मेरी ॥
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