August 11, 2009

आवाज़ मेरे दिल की !!



आज जब मैं -दिन भर भूखा रहता हूँ ,और रात को भी नही खा पाता ,तब दिल के एक कोने से आवाज़ आती है की कोई आए और मेरी मदद करे ,पर अगले पल सोचता हूँ --कोई मेरी मदद क्यूँ करे .........! ऐसा क्या है मुझमे ......! डर जाता हूँ तब मैं जब लगता है की कहीं मैं उससे तो रहम की भीख तो नही मांग रहा हूँ जिसे लोग अल्लाह , भगवान् ......और न जाने क्या- क्या कहते हैं । तब बड़ी मजबूती से दिल से आवाज़ आती है--"मैं भूखे मर जाना पसंद करूँगा पर तेरा नाम मेरी जुवान पर कभी न आएँगी, कंससे कम तबतक तो बिल्कुल भी नही जबतक मैं होश में हूँ ,और न हीं मैं तुम्हारे दरवाज़े पे khud के liye कभी रहम मँगाने जायूँगा ।"


तू ज्यादा से ज्यादा क्या कर सकता है ,,अगर मैं मरना चाहूँ तो तू मुझे आराम से न मरने देगा --यही न .............!इससे ज्यादा तो तू कुछ कर नही सकता ,,मुझे मंजूर है --तू कर ले सितम तेरी चाहत जहाँ तक है,, मैं न बोलूँगा अब बस ...................!!!

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