July 24, 2009





कभी आना तो हल्का सा इशारा देना 
कभी जुल्फों की छांव
कभी आँचल का किनारा देना
चल न पाऊंगा बिन तेरे 
ठोकरे खून , गर लड़खड़ाऊ 
थामना बाँहों में , हाथों का सहारा देना 
उल्फत होगी हर कदम 
तन्हा मतलब की बस्ती में 
कभी जो बुझ जाये चिराग राहों के 
पल दो पल ही आकर खुद का नज़ारा देना 
कभी आना तो हल्का सा इशारा देना 
थामना बाँहों में , हाथों का सहारा देना 

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